यह कैसी उपलब्घि

सम्पादकीय

हरदौल वाणी 07/07/2025

गत दिनो सबसे ज्यादा चर्चा मे जो मामला रहा वह ऐसा शर्मनाक मामला है जो हमारी तथा कथित बडी उपलब्धि अर्थात ए आई ( आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के प्रयोग पर बडे बडे प्रश्न चिन्ह लगा रहा है । उत्तर प्रदेश की एक महिला साॅसद के डिजिटल अकाउंट का फर्जी प्रयोग कर उसमे अभद्र चित्र पोस्ट करने का जो लज्जाजनक घटना क्रम घटित हुआ वह हमे चेताता है कि वैश्विक होड मे ऑख बॅद कर सहभागिता करना कितना खतरनाक हो सकता है । इस अत्यंत दुखद एवम लज्जाजनक खेल मे जो खुलासा हुआ उसके अनुसार उत्तर प्रदेश की एक साॅसद की मर्यादा के साथ ए आई के सहारे खिलवाड करने वाले हरियाणा नूह के दो नाबालिग लडके थे । यद्यपि तेजी से लिये गये जांच के निर्णय के बाद दोनो लडको ने अपनी गलती स्वीकार करते हुये माफी मांग ली तथा महिला साॅसद का यह बडप्पन ही रहा कि उन्होने कठोर चेतावनी के साथ माफ भी कर दिया । किंतु कथित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के सहारे जिसे हम बडी उन्नत तकनीक मानने को बाध्य जैसे होते जा रहे है बडे बडे खेल खेले जा रहे है । यह तो एक साॅसद का मामला था तब पुलिस ने भी तत्परता दिखाई लेकिन किसी भी संभ्रांत महिला पुरुष के साथ ऐसे खिलवाड कब हो जाये शैतानी लोग कब किसी की इज्जत के साथ खिलवाड कर बैठे कुछ कहा नही जा सकता । इसका दुरुपयोग सामाजिक सांस्कृतिक एकता को नष्ट करने वाला भी हो सकता है । डिजिटल ठगी आज कल एक ऐसा असाध्य रोग हो जा रहा है जिसके शिकार रोज कोई न कोई बन रहे है । तमाम दावो के बावजूद डिजिटल ठगी को रोक पाना मुश्किल कार्य हो गया है । ठीक वही स्थिति इस कथित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दुरुपयोग होने वाली परिस्थियो का बनता हुआ दिखाई दे रहा है । भारत तो यथार्थ वादी परिस्थियो वाला देश रहा है हमारा विश्वास कभी भी आर्टिफिशियल अर्थात बनावटी जीवन शैली पर नही रहा । बनावटी जीवन तो भारतीय समाज मे सदैव हेय द्रष्टि से देखा जाता रहा है । तब यह तकनीक हमे शुभ परिणाम देने वाली कैसे हो पायेगी इस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है ।

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