टेलीग्राम ग्रुप ज्‍वाइन करने से इस शख्‍स को लगा 51 लाख का चूना, क्‍या है

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Telegram Group: इद द‍िनों ऑनलाइन जॉब और इन्वेस्टमेंट स्कैम तेजी से बढ़ रहे हैं. हाल ही में ग्रेटर नोएडा के एक शख्‍स को ऑनलाइन टास्क के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया. इसमें उसने पांच द‍िन के अंदर 51.63 लाख रुपये गंवा दिए. ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 16बी में रहने वाला पीड़‍ित एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है. 18 जनवरी को उसके पास एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप आया. मैसेज करने वाली ने अपना नाम ‘पल्लवी’ बताया और ऑनलाइन टास्क के जरिये मोटी कमाई का लालच दिया. शुरुआती बातचीत के बाद पीड़ित को एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया.

60 लाख रुपये का मुनाफा दिखाकर क‍िया खेल

टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ने के बाद पीड़ि‍त को क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट से जुड़े टास्क दिये गए. पहले उससे 2,000 रुपये से 8,000 रुपये तक की छोटी रकम जमा करने के लिए कहा गया. जैसे-जैसे उसका व‍िश्‍वास बढ़ता गया, स्कैमर्स ने उसे बड़ी रकम ट्रांसफर करने के लिए कहा. स्कैमर्स ने पीड़ित को एक नकली ऑनलाइन पोर्टफोलियो दिखाया, जिसमें 60 लाख रुपये का मुनाफा दिखाया गया था. इस पर व‍िश्‍वास करके पीड़ित ने और ज्‍यादा पैसे इन्वेस्ट कर द‍िया. लेकिन जब उसने पैसे निकालने की कोशिश की तो स्कैमर्स ने अलग-अलग चार्ज और टैक्स के नाम पर और पैसे मांगे.

32 ट्रांजेक्शन में 51.63 लाख रुपये गंवाए
पीड़ित को उस समय ज्‍यादा संदेह तब हुआ जब बार-बार पैसे मांगने के बावजूद उसे कोई रिटर्न नहीं मिला. जब उसने इस मामले पर अपने दोस्त से चर्चा की तो उसे अहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है. रिपोर्ट के अनुसार पांच दिन में उसने कुल 32 ट्रांजेक्शन किये और 51.63 लाख रुपये गंवा दिए. इस मामले में पीड़ित ने साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 (धोखाधड़ी) और 319 (छलपूर्वक धोखा देने) के तहत केस दर्ज किया गया. इसके अलावा, आईटी एक्ट से संबंधित धाराएं भी लगाई गई हैं.

ऑनलाइन टास्क स्कैम के बढ़ते मामले
यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है, जब किसी व्यक्ति ने ऑनलाइन टास्क के नाम पर पैसा गंवाया हो. पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों को यूट्यूब वीडियो लाइक करने, ऐप डाउनलोड करने या फेक रिव्यू देने जैसे टास्क देकर फंसाया गया है. शुरुआत में उन्हें छोटे-छोटे पैसे भेजकर भरोसा दिलाया जाता है. लेकिन बाद में इन्वेस्टमेंट के नाम पर बड़ी रकम ठग ली जाती है.

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